दरभंगा।निरीह, बुजदिल और कायल संस्कृति के वाहक वर्तमान निरंकुश शासक प्रशासक लगातार होने वाली महान आस्था के पर्व दीपावली, गोवर्धन, भाईदूज, चित्रगुप्त और चार दिवसीय छठ पूजा के मौके पर भी काम लेने को संकल्पित होकर पता नहीं क्या साबित करना चाहती है। उक्त बातें मंगलवार को बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष रफीउद्दीन ने पत्रकारों से बात करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि अब बिहार में शिक्षकों को छुट्टी भी नहीं चाहिए। अन्यथा बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल सकेगी। निरंकुश सरकार एवं सरकारी आलाकमान को पता होना चाहिए कि शिक्षक जब विद्यालय में पठन पाठन से लेकर चुनाव, जगनगणना, पशुगणना, गृह गणना और स्वच्छता मिशन से लेकर अन्य दर्जनों काम करते आ रही है तो फिर कुछ और कार्य बढ़ जाने से क्या फर्क पड़ता है। लेकिन दुर्भाग्य है कि प्राचीन समय से चल रही छुट्टी की नीतियों को ठेंगा दिखाते हुए शिक्षकों से काम लेकर क्या दर्शन चाहती है। सरकार को भी पता होना चाहिए कि शिक्षा के वाहक के साथ जिसने भी गलत रवैया रखा है उसका अंत भी बहुत बुरा रहा है। शिक्षकों में महान आस्था के पर्व के मौके पर भी शिक्षक नहीं बल्कि रोबोट समझी जा रही है। जबकि शासक एवं प्रशासक को समझना चाहिए कि यह एक ऐसा पद है जिसे मानसिक रूप से प्रताड़ित कर बेहतर कार्य की परिकल्पना नहीं की जा सकती है।