दरभंगा।चन्द्रगुप्त साहित्य महोत्सव के दौरान शनिवार को भामती मंडप में आयोजित आध्यात्म में वैज्ञानिकता विषय पर अध्यक्षीय पक्ष रखते हुए संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 लक्ष्मी निवास पांडेय ने कहा कि अमूर्त चिंतन से ही आध्यात्म शुरू होता है और आध्यात्म के बिना विज्ञान की ओर दिशा तय करना सम्भव भी नहीं है। उन्होंने कहा कि आध्यात्म की दृष्टि जब धरातल पर रहेगी तभी विज्ञान पूर्ण होगा। अन्यथा विज्ञान अपनी विशेषताओं को खो देगा। वहीं, ईश्वरीय शक्तियों का विभिन्न उदाहरण देकर उन्होंने ईश्वरीय सत्ता पर भी प्रकाश डाला। इसी क्रम में उन्होंने स्त्री स्वतंत्रता पर शास्त्रीय पक्षों का उपस्थापन करते हुए कहा कि नारी ही ऐसी शक्ति है जो किसी भी परिस्थिति व परिवेश में ढल जाती हैं। सामाजिक समरसता एवम कुटुंब प्रबंधन की व्याख्या करते हुए कुलपति ने स्व की धारणा पर भी शास्त्रीय पक्षों को बखूबी रेखांकित किया। त्रिविध ताप व आत्मा के स्वरूप की व्याख्या करते हुए कुलपति ने जीवात्मा से परमात्मा के सम्बन्धों को जब प्रतिपादित किया तो पूरा मंडप तालियों से गूंज उठा। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ शशांक कुलकर्णी ने भी अपने पक्षो को बड़े ही दमदार तरीके से रखा। इस कार्यक्रम के संयोजक डॉ सोनू रामशंकर थे।

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