एसएसपी ने की जन सुनवाई, निराश पीड़ितों में पुलिस व्यवस्था के लिए भरोसा जगाने की कोशिश

एसएसपी ने की जन सुनवाई, निराश पीड़ितों में पुलिस व्यवस्था के लिए भरोसा जगाने की कोशिश

एक दर्जन से अधिक थानों के बाइस मामलों का किया निपटारा, दिए जरूरी आदेश

संजय मिश्र
दरभंगा

पुलिस के लिए ड्यूटी निभाना टाइट रोप वॉकिंग है। एक तरफ रूल ऑफ लॉ को बहाल रखना तो दूसरी ओर नागरिकों में पुलिस के प्रति भरोसा कायम रखना। दरभंगा के एसएसपी जगुनाथ रेड्डी जला रेड्डी इसी दिशा में क्रियाशील रहते हैं। वर्दी से छिटकती पावर और थानों की पोस्टिंग में पुलिस अधिकारी और कर्मचारी अपने व्यवहार में एरोगैंस को न धारण कर लें इसके प्रति एसएसपी सचेत और संजीदा रहते हैं। पुलिस शब्द से जुड़े हनक को संतुलित रखने खातिर जन सुनवाई पर वे खासा जोर रखते हैं। शनिवार 5 अक्टूबर 2024 को अपने दफ्तर में उन्होंने ऐसी ही जन सुनवाई आयोजित की।

इस ऑफिस के सोशल मीडिया सेल द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक वरीय पुलिस अधीक्षक ने एक दर्जन से अधिक थानों के बाइस मामलों का निपटारा किया, संबंधित अधिकारियों को जरूरी आदेश दिया।

सुनवाई के दौरान अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी (सदर 2) से संबंधित – 01, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी सदर/बहादुरपुर थाना – 01, बेनीपुर के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी से जुड़े – 02, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी बेनीपुर/बहेड़ी थाना – 02, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी बिरौल – 01, पुलिस लाइन (RSM) – 01, बहेड़ा थाना – 01, सदर थाना – 01, बहेड़ी थाना – 02, जाले थाना – 01, सकतपुर थाना – 03, विश्वविद्यालय थाना – 01, महिला थाना – 02, मनीगाछी थाना के 03 मामलों के फरियादी की समस्या की सुनवाई की गयी। उनके निराकरण के लिए संबंधित को आदेशित किया गया।

दरभंगा के एसएसपी ने कहा कि प्रत्येक कार्य दिवस पर आम लोगों की समस्या की सुनवाई की जाती है तथा उनके शिकायत का त्वरित निष्पादन किया जाता है। उन्होंने जोर देते हुए बताया कि सामने बैठे पीड़ित के हाव भाव और आंखों की भाषा संबंधित थानों की कार्यप्रणाली का अहसास करा जाती हैं। थाने के स्टाफ के मनमानेपन और लापरवाही का पता लग जाता है। प्रोफेशनल तरीके से समस्या का तत्काल निदान किया जाता है। नागरिकों की हरसंभव संतुष्टि परम लक्ष्य है।

एसएसपी द्वारा किए जा रहे सिस्टेमिक परिवर्तन का असर धीरे धीरे दिखने लगा है। पुलिस – पब्लिक संबंध सहिष्णु करने का महत्व थाना स्तर पर जाने लगा है। किसी किसी थाने में तो सॉफ्ट पावर की आकांक्षा से जुड़ी गतिविधियों पर बल दिया जा रहा है। आखिरकार, पोलिसिंग के लिए समाज का सहयोग चाहिए न।

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