जनसंख्या नहीं, योगदान के हिसाब से मिलेगा महिलाओं को टिकट
संजय मिश्र
अब यह तय हो गया है कि जन सुराज 40 महिला उम्मीदवारों को साल 2025 के बिहार विधान सभा चुनाव में मैदान में उतारेगी. रविवार 25 अगस्त 2024 को पीके यानि प्रशांत किशोर ने इसकी घोषणा कर दी. पटना के बापू सभागार में जन सुराज के “महिला संवाद” कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने आधी आबादी से वादा किया कि अगले चुनाव में जन सुराज कम से कम 40 महिलाओं को जिताकर विधान सभा भेजेगा. प्रशांत ने जन सुराजी महिलाओं से कहा कि आपको संसाधन मिलेगा साथ में राजनीति के गुण भी.
इसके साथ ही प्रशांत किशोर ने महिलाओं से वादा किया कि वर्ष 2025 में छठ के बाद आपके पति या बेटे को रोजगार के लिए बड़े शहर नहीं जाना पड़ेगा. जन सुराज सुनिश्चित करेगा कि आपके बांधवों को बिहार में ही 10 -15 हजार रूपए के रोजगार की व्यवस्था हो जाएगा.
प्रशांत किशोर ने सभा में शिरकत करने आई हजारों महिलाओं के सामने ऐलान किया कि महिलाओं को स्वरोजगार स्थापित करने के लिए सरकारी गारंटी पर मात्र 4% ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराया जाएगा. पीके ने कहा कि महिलाओं को समानता तभी मिल सकती है जब उनको आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जाए.
पीके ने स्पष्ट किया कि महिलाओं को उनका हिस्सा उनकी जनसंख्या के अनुरूप नहीं, बल्कि उनके योगदान के अनुरूप मिलेगा. आपको हैरानी होगी कि इसके पहले ही पीके ने खुल कर कहा था कि बिहार की मौजूदा परिस्थिति के अनुरूप राजनीतिक दलों का महिलाओं को तीस से पचास फीसदी आरक्षण देने का वादा महज लॉलीपॉप है. पीके ने बताया था कि प्रत्येक लोकसभा सीट के अंतर्गत एक विधान सभा सीट से जन सुराज की महिला उम्मीदवार चुनाव लड़ेगी. रोचक है कि उन्होंने यह भी कहा था कि हर समाज में काबिल व्यक्ति हैं. उन्हें उनके समाज की संख्या के हिसाब से प्रतिनिधित्व मिलेगा.
दिलचस्प है कि तमाम दल महिलाओं को टिकट देने की बारी आते ही विनेबिलिटी (जिताऊ) की बात करने लगते हैं. तो क्या पीके का – योगदान के हिसाब से – का आशय वही है?