जीविका दीदियों ने लगाया किचन गार्डन।

जीविका दीदियों ने लगाया किचन गार्डन।

दरभंगा: जीविका ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को किचन गार्डन व स्वास्थ्य एवं पोषण बगीचा लगाने को प्रेरित कर रहा है। सदर प्रखंड अंतर्गत हरिपुर गाँव में जीविका दीदियों को बीपीएम सिकंदर आज़म,जीविकोपार्जन प्रबंधक मनोरमा मिश्रा व संचार प्रबंधक राजा सागर की उपस्थिति में किचन गार्डन के सभी पहलुओं पर विस्तृत जानकारी दी गयी।साथ ही सभी दीदियों से प्रैक्टिकल भी करवाया गया जिससे उनकी खुद की समझ विस्तारित हो सके।

बीपीएम सिकंदर आज़म ने जानकारी देते हुए कहा कि 400 वर्ग फीट में किचन गार्डन तैयार किया जा सकता है। जिसमें 13 क्यारियां बनाकर साग-सब्जियों की खेती की जा सकती है।

उन्होंने कहा कि घर में किचन गार्डन बनाने से माहौल हरा-भरा होगा। सब्जियों की पटवन के लिए पानी का अलग से इंतजाम नहीं करना पड़ेगा। घर से बाहर निकलने वाली पानी से पटवन किया जा सकता है।

बीपीएम ने बताया कि किचन गार्डन लगाने से कई प्रकार के फायदे हैं,सब्जियों की खरीदारी के लिए बाजार नहीं जाना पड़ेगा, प्रति दिन घर में ही सब्जी उग जाएगी,हरी व ताजी सब्जियों का सेवन करने से स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा,कुपोषण से भी छुटकारा मिलेगा।

उन्होंने कहा कि किचन गार्डन में खाद ,डीएपी,यूरिया नहीं डाला जाता है तो सब्जी की गुणवत्ता बनी रहती है। टमाटर, साग,मिर्च, मूली,भिण्डी,करैला, नेनुआ,गाजर,बैगन आदि साग-सब्जियां लगाई जा सकती हैं।

संचार प्रबंधक राजा सागर ने कहा कि यूँ तो सब्जी बगीचा में सब्जी उत्पादन का प्रचलन प्राचीनकाल से चला आ रहा है। अच्छे स्वास्थ्य के लिये दैनिक आहार में संतुलित पोषण का होना बहुत जरूरी है।

फल एवं सब्जियां इसी संतुलन को बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हैं,क्योंकि ये विटामिन,खनिज लवण, कार्बोहाइड्रेट, वसा व प्रोटीन के अच्छे स्रोत होते है।

जीविका दीदियां ‘किचन गार्डन’ में सब्जियां उगा रही है और इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं-बच्चों की थालियों तक पौष्टिक भोजन पहुंच रहा है। राजा सागर ने किचन गार्डन लगाने के फ़ायदे बताते हुए कहा कि घर के चारों ओर खाली भूमि के साथ घर के व्यर्थ पानी व कूड़ा-करकट का भी सदुपयोग हो जाता है।

साल भर स्वास्थ्यवर्धक,गुणवत्तायुक्त व सस्ती सब्जी,फल एवं फूल प्राप्त होते रहते है।

जीविकोपार्जन प्रबंधक मनोरमा मिश्रा ने किचन गार्डन के तकनीकी ज्ञान को साझा करते हुए बताया कि फसल चक्र के सिद्धांतों व मौसम के हिसाब से ही बगीचे में सब्जियों का चुनाव करें।

उन्होंने बताया कि खरीफ मौसम वाली सब्जियां इन्हें जून-जुलाई में लगाया जाता है जैसे लोबिया,तोरई, गिल्की, भिंडी,अरबी,करेला,लौकी, ग्वार,मिर्च टमाटर आदि रबी मौसम वाली सब्जियां इन्हें सितंबर-नवम्बर में लगाया जाता है जैसे बैंगन, टमाटर, मिर्च, आलू, मेथी प्याज, लहसुन, धनिया, पालक, गोभी, गाजर, मटर आदि वहीं जायद मौसम वाली सब्जियां- इन्हें फरवरी-मार्च में बोया जाता है जैसे कद्दूवर्गीय सब्जियां, भिंडी आदि।

उन्होंने कहा कि जड़ वाली सब्जियों को मेड़ों पर उगायें,समय-समय पर निराई-गुड़ाई, एवं सब्जियों, फलों व फूलों के तैयार होने पर तुड़ाई करते रहे।

कीटनाशकों व रोगनाशक रसायनों का प्रयोग न करे, गोबर व जैविक खादों को ही प्रयोग में लाये जिससे सब्जियों की पौष्टिकता बरक़रार रहे।

इस अवसर पर जीविकोपार्जन विशेषज्ञ सलोनी कुमारी, सुप्रिया कुमार,ज्योतसना कुमारी,नंदनी कुमारी आदि जीविका दीदियां उपस्थित थी।

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *