विश्वविद्यालय मैथिली विभाग में विभागाध्यक्ष प्रो. दमन कुमार झा की अध्यक्षता में मैथिली – हिन्दी की लेखिका डॉ उषा किरण खान की असामयिक निधन पर शोक सभा का आयोजन किया गया। ज्ञात हो कि प्रसिद्ध साहित्यकार एवं पद्मश्री डॉ उषाकिरण खान का निधन पटना में 11 फरवरी को हो गया। वे पिछले कई दिनों से बीमार चल रही थीं।वे अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ गई है। प्रो. दमन कुमार झा अपने शोक सम्बोधन में कहा कि उषा जी प्राचीन भारतीय इतिहास एवं पुरातत्व विषय की ज्ञाता थीं एवं मैथिली – हिन्दी साहित्य लेखन की स्तम्भ। उनका जाना हम सबों के लिए एक अपूर्णीय क्षति है। उन्होंने इनकी कृतित्व पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि उनके साहित्य में गांव वसता है। मैथिली की प्रमुख कृतियों में अनुत्तरित प्रश्न, हसीना मंजिल, दूर्वाक्षत, भामती, पोखरि-रजोखरि, काॅंचहि बांस आदि प्रकाशित है, जो इन्हें जीवित रखेंगे।इसके अलावे इन्होंने हिन्दी में भी कई रचनाएं की जो हिन्दी साहित्य के लिए स्मरणीय रहेगा। साहित्य के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए इन्हें भारत सरकार द्वारा 2015 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया । 2011 में ‘भामती’ के लिए इन्हें ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’ एवं 2020 में ‘प्रबोध साहित्य सम्मान’ से सम्मनित किया गया। इनके सहज एवं सरल स्वभाव से सभी तुरन्त प्रभावित हो जाते थे। विभागीय प्राध्यापक डाॅ. सुरेश पासवान ने श्रीमती खान के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के साथ ही उनके साथ बिताए पलों को स्मारित किया। डाॅ. सुनीता कुमारी ने उनके जीवन पर प्रकाश डाला। इस मौके पर विभागीय कर्मी भाग्यनारायण झा, निरेन्द्र कुमार, वरीय एवं कनीय शोधार्थी सत्यनारायण, दीपेश, दीपक, हरेराम,रौशन, वन्दना, राज्यश्री, शालिनी, नेहा, शीला, अम्बालिका, राजनाथ, मनोज पंडित, पवन, मिथलेश, प्रीति, गुंजन, तथा छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।अंत में सभी ने दिवंगत आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा।